Thursday, April 29, 2021



Postgraduate Diploma in Development Leadership 2021-22

Last date for applications extended to 30th April 2021

Click here to apply now

For more details please visit our website 
https://azimpremjiuniversity.edu.in/PG-Diploma


 

Wednesday, April 28, 2021



खेती में भाषा , गणित, और विज्ञान की शिक्षा !

खेती में काम करते समय ! भाषा , गणित, और विज्ञान की शिक्षा कैसे हो सकती है इस पर चर्चा करने के लिए आनंद निकेतन विद्यालय, वर्धा के कृषि शिक्षक शंकर भोयर होंगे. गांधी विचारों के आधार पर हमारा आनंद निकेतन कार्य करता है .

खेती के बारे में आज के पीढ़ी की सोच हम सबको पता है . हर कोई छोटी बडी नौकरी के पीछे  भाग रहा है . खेती करते समय छात्र  सभी प्रकार के बीज, बीज की पहचान, मौसम के अनुरूप बुआई, पानी देने के तरीके, केंचुआ खाद बनाना, कम्पोस्ट खाद, जर्मीनेशन, हार्वेस्टिंग, मार्केटिंग, औजार की पहचान, रासायनिक खेती और जैविक खेती के तुलनात्मक अभ्यास, छात्रों एक्टिविटी करते-करते सीखने को मिलता है . इन कार्यों से हमारे मन , बुद्धि और शरीर का विकास होता है.

https://youtu.be/sv-gUi8dVes


 

Tuesday, April 27, 2021

 


पाठशाला में छपे लेख “ विज्ञान किताबों में और किताबों से बाहर: कुछ अनुभव ” पर इसके लेखक एन. सरिता से संवाद के लिए 28 अप्रेल, बुधवार को शाम 4.30 बजे आयोजित वेबिनार में आपसे शामिल होने का आग्रह है।चर्चा करेंगे : अंबिका नाग और गजेन्द्र चौहान

जुड़ने के लिए लिंक - https://www.youtube.com/watch?v=GhQpLXSSU4M

लेख यहाँ पढ़ें : https://bit.ly/3grpaq2


Sunday, April 25, 2021

 

दोष ग्लेशियर का कतई नहीं, सिर्फ हमारा है 

वीरेन्द्र कुमार पैन्यूली, सामाजिक कार्यकर्ता 

 

….. ग्लेशियरों ने अपनी राह चुनी, आप अपनी राह चुनिए। ग्लेशियरों की राह में आप थे या आपकी राह में ग्लेशियर? हमारे हाल के लिए यदि ग्लेशियर जिम्मेदार हैं, तो  ग्लेशियर के हाल के लिए कौन जिम्मेदार है? ग्लेशियर आपदा नहीं पानी देते हैं।….. ऋषि गंगा के ऊपरी क्षेत्र के ग्लेशियर ने पिछले तीन दशकों में अपना 10 प्रतिशत भार खो दिया है।….. विश्व के ये जल भंडार यदि पिघल जाएं, तो सागर के स्तर में लगभग 230 फीट की वृद्धि हो जाएगी….. ग्लोबल वार्मिंग के सबसे अच्छे संकेतक ग्लेशियर को माना जाता है।….. सड़क निर्माण का मलबा यदि नदियों या पुलों के पास डाला जा रहा हो, तो इन इलाकों में भविष्य के फ्लैश फ्लड से नहीं बचा जा सकता….. दुनिया का कोई भी क्षेत्र हो, ग्लेशियर के पास रहना खतरनाक होता है।….. गंगा व यमुना को 20 मार्च 2017 से नैनीताल उच्च न्यायालय के एक आदेश के अनुसार, न्यायिक जीवित मानव का दर्जा दिया गया था। इससे ये नदियां अपने मानवाधिकार हनन के लिए न्यायालय जा सकती थीं। देश में ऐसा पहली बार हुआ था, किंतु सरकारों ने उच्चतम न्यायालय में इस आदेश की व्यावहारिकता को चुनौती दे दी।…..

https://www.livehindustan.com/blog/nazariya/story-hindustan-nazariya-column-26-april-2021-3996890.html

 

Saturday, April 24, 2021

Publication - Learning Curve

This issue highlights ideas of justice, equality, liberty and fraternity – four very  lofty ideals which have the power of  creating a dynamic society, perhaps changing with the times, but always for the  better. It is clear that an all-encompassing concept like citizenship cannot be taught at the macro-level: it has to begin with the family, the smallest yet most significant unit of society, spread concentrically to friends, strangers and  finally to  the country. This is why the school, especially in the primary years, is considered to be the best place to impress upon our children, who are already citizens at birth, what their attitudes could be if they want to ‘be the change they want to see’.

Click below link to access the online version 

https://azimpremjiuniversity.edu.in/SitePages/resources-learning-curve-issue-9-april-2021.aspx

 


 

Friday, April 23, 2021

Frontline workers in India like ASHA, ANMs, Mitanin, and others have been at the forefront of the battle against the COVID-19 pandemic. Yet much of their struggle and sacrifice in the wake of the crisis has largely been ignored.

 

Arima Mishra and Sanjana Santosh have crafted a compendium “Aren’t we frontline warriors? Experiences of grassroots health workers during COVID 19” that encapsulates real-life stories of challenges, resilience and resolution faced by the frontline workers from different parts of India.

 

The compendium has been published by Azim Premji University.

 

Read the compendium by clicking bit.do/awflw


“ क्या हम फ्रंटलाइन वारियर्स नहीं है? ” कोविड 19 के दौरान ग्रासरूट हेल्थ वर्कर्स के अनुभव ”

भारत में , कोविड -19 महामारी के खिलाफ संघर्ष में फ्रंटलाइन कार्यकर्ता जैसे - आशा, ए.एन.एम. , मितानिन (छत्तीसगढ़ में आशा कार्यकत्री) और अन्य सबसे आगे रहे हैं । संकट की घड़ी में उनके संघर्ष और बलिदान अभी तक उपेक्षित रहे हैं. आरिमा मिश्र और संजना संतोष ने देश के विभिन्न भागों में कार्यरत फ्रंटलाइन वर्कर्स की  वास्तविक जीवन की चुनौतियों और संकल्प के अनुभवों “क्या हम फ्रंटलाइन वारियर्स नहीं है? ” कोविड 19 के दौरान ग्रासरूट हेल्थ वर्कर्स के अनुभव” का संकलन किया है  .

यह संकलन अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकशित किया गया है . 


कोविड : एक और पत्र गाँव से.....अनुराग बेहार , सीईओ अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन व् वाईस चांसलर अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी

कोविड : एक और पत्र गाँव से अनुराग बेहार , सीईओ अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन व् वाईस चांसलर अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी http://epaper.subahsaver...