Friday, April 23, 2021

Frontline workers in India like ASHA, ANMs, Mitanin, and others have been at the forefront of the battle against the COVID-19 pandemic. Yet much of their struggle and sacrifice in the wake of the crisis has largely been ignored.

 

Arima Mishra and Sanjana Santosh have crafted a compendium “Aren’t we frontline warriors? Experiences of grassroots health workers during COVID 19” that encapsulates real-life stories of challenges, resilience and resolution faced by the frontline workers from different parts of India.

 

The compendium has been published by Azim Premji University.

 

Read the compendium by clicking bit.do/awflw


“ क्या हम फ्रंटलाइन वारियर्स नहीं है? ” कोविड 19 के दौरान ग्रासरूट हेल्थ वर्कर्स के अनुभव ”

भारत में , कोविड -19 महामारी के खिलाफ संघर्ष में फ्रंटलाइन कार्यकर्ता जैसे - आशा, ए.एन.एम. , मितानिन (छत्तीसगढ़ में आशा कार्यकत्री) और अन्य सबसे आगे रहे हैं । संकट की घड़ी में उनके संघर्ष और बलिदान अभी तक उपेक्षित रहे हैं. आरिमा मिश्र और संजना संतोष ने देश के विभिन्न भागों में कार्यरत फ्रंटलाइन वर्कर्स की  वास्तविक जीवन की चुनौतियों और संकल्प के अनुभवों “क्या हम फ्रंटलाइन वारियर्स नहीं है? ” कोविड 19 के दौरान ग्रासरूट हेल्थ वर्कर्स के अनुभव” का संकलन किया है  .

यह संकलन अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकशित किया गया है . 


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कोविड : एक और पत्र गाँव से.....अनुराग बेहार , सीईओ अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन व् वाईस चांसलर अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी

कोविड : एक और पत्र गाँव से अनुराग बेहार , सीईओ अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन व् वाईस चांसलर अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी http://epaper.subahsaver...